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‘अटूट विश्वास हमारा मार्गदर्शन करे’: स्वामी गुरुरत्नम ज्ञानतपस्वी

“Manju”

पोत्तनकोड: शान्तिगिरि आश्रम के महासचिव स्वामी गुरुरत्नम ज्ञानतपस्वी ने कहा कि गुरु के प्रति आस्था अटूट होनी चाहिए और किसी भी संकट में इसे नहीं छोड़ना चाहिए। स्वामी मंगलवार, 30 जनवरी को रात 8 बजे पूजित पीठ समर्पण समारोह के सिलसिले में स्पिरिचुअलज़ोन कॉन्फ्रेंस हॉल में तिरुवनंतपुरम ग्रामीण क्षेत्र में कला और संस्कृति प्रभाग, क्षेत्र समिति की गवर्निंग कमेटी की बैठक में मुख्य भाषण दे रहे थे।

स्वामी ने कहा कि आश्रम जीवन बर्फ के ऊपर एक यात्रा करने समान है। केवल अगर हम विश्वास की निश्चितता पर ध्यान देंगे, तो हम नहीं गिरेंगे। शुद्ध विश्वास ही वह चीज़ है जो हमारी मदद करने के लिए आवश्यक है। आश्रम गृहस्थाश्रमियों के लिए एकजुट होकर कार्य करने का स्थल भी है। यहां सब कुछ एक साथ किया जाना चाहिए। किसी भी आंदोलन की पहचान उसमें काम करने वाले लोगों की ईमानदारी और निष्ठा से होती है।

सांस्कृतिक गतिविधियाँ आश्रम के कर्म क्षेत्र में व्यापक योगदान देने में सक्षम रही हैं। वर्ष 2023 शान्तिगिरि के लिए उपलब्धियों का वर्ष था। कोझिकोड, दिल्ली और चेन्नई आश्रम शाखाओं में नई इमारतों के समर्पण सहित भव्य समारोह आयोजित किए गए। शृंखला में नये ब्रह्मचारी और ब्रह्मचारिणी आये। 22 युवतियां संन्यासिनियां बनीं। देश के प्रधानमंत्री ने इसकी सराहना की। सांस्कृतिक गतिविधियाँ इन सबके लिए उत्प्रेरक रही हैं।

व्यक्तियों को गुरु के परम प्रकाश से ऊर्जा प्राप्त करके, कम से कम एक छोटे रूप में, दूसरों के लिए प्रकाश बनने का प्रयास करना चाहिए। गुरु ने जीवन भर क्या-क्या सहा, यह सोचकर हमें अपने सामने आने वाली छोटी-मोटी परेशानियों को सहते हुए आश्रम में टिके रहना चाहिए। हमें सोचना चाहिए कि यहां रहना आश्रम के लिए नहीं बल्कि हमारे लिए है। स्वामी ने कहा कि गुरु की 100वीं जयंती, जन्मगृह परिसर का निर्माण, केंद्राश्रम के विकास कार्य जैसे कार्य गुरु की इच्छा के अनुसार हर किसी को करने में सक्षम होना चाहिए।

निदेशक (प्रशासन) महासचिव कार्यालय जननी दिव्या ज्ञानतपस्विनी सभा में उपस्थित थीं। स्वामी जनतीर्थन ज्ञानतपस्वी, स्वामी जनसमथन ज्ञानतपस्वी, जननी कृपा ज्ञानतपस्विनी, जननी प्रार्थना ज्ञानतपस्विनी, जननी मंगला ज्ञानतपस्विनी, जननी गौतमी ज्ञानतपस्विनी, जननी सुकृता ज्ञानतपस्विनी, जननी वंदिता ज्ञानतपस्विनी, जननी करुणाश्री ज्ञानतपस्विनी, ब्रह्मचारी एस. विवेक, एन.एम. मनु और आर मुक्तन, ब्रह्मचारिणी कीर्तना प्रसाद, डॉ. टी. एस. सोमनाथन, डी. प्रदीप कुमार, टी.के. उन्नीकृष्ण प्रसाद, एम. पी. प्रमोद और विभिन्न संचालन समितियों के लगभग 100 प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

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