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शान्तिगिरि विद्धा भवन – केरल में प्रथम ए. आई. हाई-टेक विद्यालय

“Manju”

पोतनकोड (तिरुवनंतपुरम् ): पोतनकोड-स्थित शान्तिगिरि विद्या भवन केरल में पहला आर्टिफिशल इंटेलिजेंस विद्यालय घोषित किया जाएगा। इस पद्धति की घोषणा अगस्त २२, मंगलवार, को नवपूजितम् समारोह के दौरान भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द द्वारा की जाएगी। यह पद्धति वैदिक ई-स्कूल और यू. एस. की आई लर्निंग एजेंसी के सहयोग के साथ क्रियान्वित की जाएगी जो कि विश्व की एक प्रगतिशील शैक्षिक संस्था है। वैदिक ई-स्कूल का नेतृत्व एक ऐसी समिति के द्वारा किया जा रहा है जिसमें लगभग १३० भूतपूर्व मुख्य सचिव, डी. जी. पी एवं वाइस चांसलर सदस्य हैं। ए.आई. स्कूल एक नया शैक्षिक माध्यम है जो कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के द्वारा छात्रों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। इसके माध्यम से छात्र स्कूल के बाद भी स्कूल की वेबसाइट के द्वारा पढ़ाई कर पाएंगे। पद्धति के पहले चरण में ८ से १२वीं कक्षा के बच्चे आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के द्वारा इस पद्धति का लाभ उठा पाएंगे। इस से स्कूल एवं छात्र बेहतर परिणाम ला पाएंगे क्योंकि यह पद्धति नई राष्ट्रीय शैक्षिक नीति के नेशनल स्कूल अक्रेडिटेशन स्टैंडर्ड पर आधारित है।

वैदिक ई-स्कूल के चांसलर और एम. जी. यूनिवर्सिटी और कन्नूर यूनिवर्सिटी के भूतपूर्व वाइस चांसलर डॉ बाबू सेबास्टियन ने शान्तिगिरि न्यूज़ को बताया कि ए.आई. स्कूल के माध्यम से बहु-अध्यापिकी रिविशन, बहुमुखी असेसमेंट, एप्टीट्यूड टेस्ट, सायकोमेट्रिक काउंसलिंग, क्षमता एवं स्मरण शक्ति बढ़ाने की तकनीकें, कम्युनिकेशन एवं राइटिंग स्किल, इन्टरव्यू एवं ग्रुप डिस्कशन, गणित संबंधी प्रशिक्षण, व्यवहारिक तौर तरीके, अंग्रेजी भाषा और भावनात्मक एवं मानसिक क्षमताओं में प्रशिक्षण दिया जाएगा। जे ई ई, नीट, मैट, क्लैट, क्वेट, जई-मेट, जी.आर.ई., आई. ई. एल. टी. एस. इत्यादि जैसी परिक्षाओं के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। बाहरी विश्वविद्यालयों में प्रवेश और छात्रवृति के बारे में भी मार्गदर्शन दिया जाएगा।

आर्टिफिशल इंटेलिजेंस पर आधारित डिजिटल कंटेंट स्कूलों और छात्रों को स्कूल की वेबसाइट के माध्यम से दिया जाएगा जिस से कि उन पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। इस से पढ़ाई ज़्यादा मनोरंजक, बहुमुखी एवं आसान बनेगी। पढ़ाई और परिक्षाओं के विषय में बच्चों और उनके माता-पिता को राहत मिलेगी और उनकी चिंता कम होगी। माता-पिता अपने बच्चों की प्रगति का अनुमान लगा पाएंगे। मध्यम स्तर के छात्र भी इस पद्धति की सहायता से अच्छे परिणाम ला पाएंगे। इस विषय पर तिरुवनंतपुरम प्रेस क्लब में एक पत्र सम्मेलन किया जाएगा।

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