पोत्तनकोड: एक संन्यासी का जीवन तभी सार्थक और पूर्ण होता है जब वह सेवा और चिंतनशील जीवन के बीच संतुलन बनाने में सक्षम होता है, केरल के परिवहन मंत्री एंटनी राजू ने कहा। आज दुनिया में लोग दया चाहते हैं और एक संन्यासी में इन लोगों को अपनाने की ताकत होनी चाहिए । मंत्री ने कहा कि आश्रमों को करुणा का स्रोत बनना चाहिए। वह शांतिगिरि आश्रम में संन्यास दीक्षा वार्षिक समारोह का उद्घघाटन कर रहे थे। गुरुस्थानीय अभिवंध्या शिष्यापूजिता अमृता ज्ञान तपस्विनी से संन्यास दीक्षा प्राप्त करने वाली 22 संन्यासिनियों को मंत्री ने बधाई दी।
आत्म समर्पण ही तपस्वी जीवन का आधार है, मंत्री ने कहा। यह हर किसी के लिए एक विकल्प नहीं है। संन्यासी भक्ति की लौ जलाता है। जो लोग संन्यासी जीवन जीते हैं, उन्हें दूसरों में उस लौ को प्रज्वलित करने और समाज को प्रबुद्ध करने में सक्षम होना चाहिए। संन्यास जीवन त्याग, शांति, अहिंसा और सादगी का प्रतीक है। उसमें नफरत और अशांति के लिए कोई जगह नहीं है। समाज संन्यासी समुदाय से ऐसी अपेक्षा नहीं करता है। इच्छा शक्ति और सामाजिक प्रतिबद्धता ही तपस्वी जीवन का आधार हैं। संन्यासी ऊर्जा का वह स्रोत हैं जो कि समाज को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं। समाज तपस्वियों से ईश्वर प्रेम की ऊष्मा और सरलता की अपेक्षा करता है। मंत्री ने कहा कि संन्यास-जीवन तब सार्थक होता है जब भाईचारे के प्यार की जीवनधारा प्रेम के झरने से बहती है। उन्होंने आशा की कि शान्तिगिरि आश्रम की 22 नई संन्यासिनियां प्रेम की पैगम्बर और दया की दूत बन सकेंगी।