नवज्योति श्रीकरुणाकरगुरु ने पारिवारिक बन्धनों को सबसे अधिक महत्व दिया – स्वामी गुरुरत्नम् ज्ञान तपस्वी
पोतनकोड (तिरुवनंतपुरम): नवज्योति श्रीकरुणाकरगुरु ने पारिवारिक बन्धनों को सबसे अधिक महत्व दिया और आम आदमी की भाषा में दुनिया को भारत की संस्कृति, मनोबल, नैतिकता और सौम्यता के बारे में बताया, शान्तिगिरि आश्रम जेनरल सेक्रेटरी स्वामी गुरुरत्नम् ज्ञान तपस्वी ने कहा। २४वें नव ओलि ज्योतिर्दिनम् सम्मेलन का कल उद्धघाटन करते हुए स्वामी ने कहा कि शान्तिगिरि आश्रम केवल संन्यासियों का आश्रम नहीं। हज़ारों गृहस्थाश्रमी और उनके कुटुम्ब इस गुरु परंपरा की नींव हैं। अनुभव ही शान्तिगिरि आश्रम की आत्मीयता है।
नवज्योति श्रीकरुणाकरगुरु एक महा गुरु हैं। यद्यपि उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ उन्होंने एक असाधारण जीवन जिया। ७२ साल के अपने महत्वपूर्ण जीवन में गुरु ने एक अद्वितीय आध्यात्मिक मार्ग दर्शा कर मानव समाज को आत्मीयता की अभूतपूर्व राह दिखाई, स्वामी ने कहा। गुरु ने मानवीय मूल्यों पर ज़ोर दिया और लोगों को भोजन खिलाने पर बहुत महत्व दिया।
राज्य सहकारी संघ अध्यक्ष कोलियाकोड कृष्णन नायर ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। आश्रम प्रेजिडेंट स्वामी चैतन्य ज्ञान तपस्वी, पालयम इमाम डॉ. वी. पी. सुहेब मौलवी, शिवगिरी मठ गुरु धर्म प्रचारण सभा सचिव स्वामी असंगानंदा गिरि और स्वामी स्नेहात्मा ज्ञान तपस्वी भी इस सम्मेलन में उपस्थित थे।
केरल के भूतपूर्व मुख्य सचिव आर. रामचन्द्रन नायर, डॉ टी. वी. श्रिनी, डॉ टी. के. सुजन और डॉ अनिल कुमार एम. वी. को इस अवसर पर सम्मानित किया गया। एडवोकेट एस. जयचंदन द्वारा लिखित पुस्तक ‘ गुरु पाथंगलिले कन्याकुमारी ‘ का लोकार्पण किया गया।