आलाप्पुष़ा: शान्तिगिरि आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चैतन्य ज्ञानतपस्वी ने कहा कि संगठन की महिमा तभी कायम रह सकती है जब हम गुरु के जीवन की पीड़ा को समझेंगे।
यदि हम आश्रम की पाँच सांस्कृतिक संस्थाओं की बात करें तो एक परिवार के सभी सदस्य उन में आएँगे। यही संगठन की विशेषता है। एक बार जब न केवल बच्चों में बल्कि माता-पिता और बढ़ती पीढ़ियों में भी संगठन की भावना पैदा हो जाती है तो उन्हें किसी और चीज़ के बारे में सोचने की ज़रूरत नहीं होती है।
स्वामी पुजित पीठ समर्पण समारोह के सिलसिले में पूरे केरल में संगठन के कार्यकर्ताओं के लिए आयोजित सांस्कृतिक बैठक में मुख्य भाषण दे रहे थे।
हमारे भक्त यह सोचकर जीते और काम करते हैं कि गुरु ही सब कुछ हैं, स्वामी ने कहा। हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि कैसे परिवार में संगठन की अवधारणा को स्थापित करना और इसे जीवन शैली में शामिल करना संभव है।
शान्तिगिरि आश्रम आलाप्पुष़ा के प्रभारी स्वामी जगत रूपन ज्ञानतपस्वी ने आलाप्पुष़ा क्षेत्र में शान्तिगिरि आश्रम की तंबकचुवड़ शाखा में आयोजित समारोह की अध्यक्षता की। क्षेत्र समिति के उपमहासंयोजक (प्रशासन) मनोहरन एन.एम. ने विश्व सांस्कृतिक नवोत्थान केंद्र की आलाप्पुष़ा क्षेत्र समिति की गतिविधि रिपोर्ट प्रस्तुत की। शान्तिगिरि मातृ मंडल आलाप्पुष़ा क्षेत्र समिति की गतिविधि रिपोर्ट क्षेत्र समिति की उप संयोजक (प्रशासन) लैला सी. द्वारा प्रस्तुत की गई।
आश्रम सलाहकार समिति के उप महाप्रबंधक अजित कुमार, तम्बकचुवड़ शाखा प्रबंधक (संचालन) वेणुगोपाल के. एन. और 60 से अधिक संगठन कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।